5 Simple Statements About पारद शिवलिंग महत्व Explained
5 Simple Statements About पारद शिवलिंग महत्व Explained
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पारे, चाँदी और जड़ी बूटी को मिलाकर के जो शिवलिंग बनता है, वह पारद शिवलिंग कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को पारा बहुत प्रिय है और उनके इस शिवलिंग की पूजा करने का विशेष महत्व है।।
शालिग्राम को स्थापित करने से पूर्व इसे गंगाजल अथवा कच्चे दूध में डालकर इसे शुद्ध करें।
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जो पुण्यफल हजारो शिवलिंग की पूजा करने से मिलाता है वह पूण्यफल नर्मदेश्वर शिवलिंग और पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है
असे झाले कि एका प्लेट मध्ये सफेद कापड ठेऊन त्यावर शिवलिंगाची स्थापना करावी.
अथर्ववेद के इन निम्न श्लोकों में स्तंभ का उल्लेख हुआ है:
वर्ध्यातील वाघाडी नाल्याला आला पूर, तरीही ट्रक टाकला पाण्यात
पारद श्री यंत्र को स्थापित करने की विधि:
मनोकामना पूर्ति के लिए सावन महीने में पारद शिवलिंग घर में रखना चाहिए,इस शिवलिंग की पूजा दिन में दो बार करनी चाहिए,वास्तु दोष का निवारण भी हो जाता हे,शिवलिंग read more की पूजाविधि और स्थापन विधि पहले कोई पंडित,तांत्रिक या अघोरी से करवा ले फिर आप पूजापाठ और मंत्र का जाप शुरू करे,
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सुख वैभव की प्राप्ति और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए पारद श्री यंत्र को घर में स्थापित करना बेहद शुभ होता है। इस यंत्र की घर में स्थापना करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पारद श्री यंत्र का दैवीय प्रतीक लक्ष्मी माता और कुबेर देव को माना गया है। पारिवारिक सुख और आर्थिक मजबूती के लिए लक्ष्मी माता का ये यंत्र स्थापित किया जाता है। इसे सभी यंत्रों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस यंत्र को प्रभावकारी बनाए रखने के लिए प्रतिदिन इसकी पूजा अर्चना के साथ मंत्र उच्चारण करना बेहद आवश्यक है। विशेषरूप से होली, दिवाली, नवरात्री और शिवरात्रि के दौरान सही मंत्रोच्चार कर इस यंत्र को अधिक प्रभावकारी बनाया जाता है। पारद श्री यंत्र सोना, चांदी और तांबे का हो सकता है।
पारद शिवलिंगाची रोज पूजा केल्याने वाकसिद्धी प्राप्त होते , समाजात खुलून बोलण्याची शक्ती निर्माण होते. लोक त्याला संमोहित होतात.
स्थापना से पूर्व जगह को सही से साफ़-सफाई कर उसपर गंगाजल का छिड़काव करते हुए पवित्र करें।